नेता का सिपाही,
सिपाही का घोड़ा ।
नेताजी की पूँछ पे जो मारा हतौड़ा ।
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा, नेट पे आके दौड़ा ..
घोड़ा था घमण्डी,
निकला वो पाखंडी।
मौका देखे ही लगाये, देशभक्ति की मंडी। 
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा, गंद मच के दौड़ा ..
घोड़ा अपना अकड़ा है,
राहुल-मोदी ने पकड़ा है।
रहता है ये यूएस में, मंदिर-माजिद में जकड़ा है।  
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा, सिन्दूर उड़ा के दौड़ा ..
घोड़ा पहुँचा ट्विटर पे,
वहां था रवीश भाई।
घोड़ेजी की भाई ने, हजामत जो बनाई।
बांह छुड़ा के दौड़ा घोड़ा, दुम उठा के दौड़ा ...
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इस पैरोडी से आहत सभी गुलज़ार प्रेमियों से माफ़ी की उम्मीद।
 
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