तेरे पास आने की कोई वजह तो नहीं है,
यूँ दिल चुराने की कोई सज़ा तो नहीं है। (१)
तेरी गली में ही बनेगा मकबरा मेरा,
तेरी गली में ही बनेगा मकबरा मेरा,
तेरे शहर में इबादत की कोई जगह तो नहीं है। (२)
मज़हब की बिसात पर लड़ाता है वो प्यादे,
मज़हब की बिसात पर लड़ाता है वो प्यादे,
इस खेल में ऊपर वाले की रज़ा तो नहीं है। (३)
क्यों हर शुक्रवार फिर जी उठता हूँ मैं,
क्यों हर शुक्रवार फिर जी उठता हूँ मैं,
दफ्तर का काम कोई कज़ा तो नहीं है। (४)
यूँ न झटका अपने केसू मेरे सीने पर,
यूँ न झटका अपने केसू मेरे सीने पर,
नाज़ुक दिल पे ये भोझ, कोई मज़ा तो नहीं है। (५)
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