जीवन में कुछ भी ओरिजिनल या मौलिक न करने की अपनी भीष्म प्रतिज्ञा (ये फ्रेज़ भी मौलिक नहीं है) को जारी रखते हुए, इस बार का ये नया पोस्ट। 
फिल्म लुटेरा का गीत "मनमर्जियां" बहुत भा गया है। तो सोचा इसको कुछ और अपना बना लिया जाए। एक प्रयोग किया है । इस गाने की धुन पर अपने शब्द रखने की कोशिश की है। कैसा लिख पाया हूँ ये तो पता नहीं, पर एक बात तय है। अब से यूँ ही हर किसी नए गीत को सुनकर उसके गीतकार को गाली देना अब कम हो जाएगा। धुन पर लिखने में हालत ख़राब हो गई। उसके बाद भी कुछ ख़ास नतीजा नहीं निकला। बहरहाल, अब भूमिका बाँधने की इस महान परंपरा का अंत यहीं होता है। नीचे ओरिजिनल गाने का लिंक दिया है। एक बार यूँही पढ़ लेने के बाद, अपनी बुलंद आवाज़ में इस सस्ती रचना को साथ में गायें। कोई रॉयल्टी फ़ीस चार्ज नहीं की जाएगी। आस-पास वाली वालों की गेरेंटी अपनी नहीं। ट्राई एट योर ओन रिस्क।
ओरिजिनल गीत: मनमर्जियां (http://www.youtube.com/watch?v=QqSrWi2GqQA)
(धुन,आदि का क्रडिट मौलिक रचनाकारों का है। No Copyright infringement intended )
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डुप्लीकेट माल: खामोशियाँ
बातों की ये धड़कन, कैसे सुने?
पूछा कई दफ़ा, उसने।
आखों का ये दर्पण, क्या कह गया?
क्या कभी गौर किया, उसने?
दिल ही दिल में
बात करती
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
हलकी बातें
पर है भारी
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
उम्र भर की
फिल्म लुटेरा का गीत "मनमर्जियां" बहुत भा गया है। तो सोचा इसको कुछ और अपना बना लिया जाए। एक प्रयोग किया है । इस गाने की धुन पर अपने शब्द रखने की कोशिश की है। कैसा लिख पाया हूँ ये तो पता नहीं, पर एक बात तय है। अब से यूँ ही हर किसी नए गीत को सुनकर उसके गीतकार को गाली देना अब कम हो जाएगा। धुन पर लिखने में हालत ख़राब हो गई। उसके बाद भी कुछ ख़ास नतीजा नहीं निकला। बहरहाल, अब भूमिका बाँधने की इस महान परंपरा का अंत यहीं होता है। नीचे ओरिजिनल गाने का लिंक दिया है। एक बार यूँही पढ़ लेने के बाद, अपनी बुलंद आवाज़ में इस सस्ती रचना को साथ में गायें। कोई रॉयल्टी फ़ीस चार्ज नहीं की जाएगी। आस-पास वाली वालों की गेरेंटी अपनी नहीं। ट्राई एट योर ओन रिस्क।
ओरिजिनल गीत: मनमर्जियां (http://www.youtube.com/watch?v=QqSrWi2GqQA)
(धुन,आदि का क्रडिट मौलिक रचनाकारों का है। No Copyright infringement intended )
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डुप्लीकेट माल: खामोशियाँ
बातों की ये धड़कन, कैसे सुने?
पूछा कई दफ़ा, उसने।
आखों का ये दर्पण, क्या कह गया?
क्या कभी गौर किया, उसने?
दिल ही दिल में
बात करती
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
लफ्ज़ ख़र्चे
और पायीं
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
राज़ अपने
राज़ अपने
ख़ुद बताती
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।हलकी बातें
पर है भारी
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
उम्र भर की
है कहानी
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
ख़त में लिपटी
मुस्कुराती
मुस्कुराती
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
साँसों में थी
जा के उलझी,
जा के उलझी,
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
ख्वाब बोया
ख्वाब बोया
और उगा ली
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
आखों में थी
यूँ सजाई
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
आखों में थी
यूँ सजाई
खामोशियाँ, खामोशियाँ ।
 
सच कहूँ आपसे मैं फिल्मे देख नहीं पाता सो कब की कब देखूं पता नहीं गाना मैंने सुना ही नहीं है लेकिन आपने जो लिखा वह पढ़ा है भूमिका से अलग मौलिकता की चाह अति प्रयोगवाद से निकल शब्दों में झलकती है
ReplyDeleteगज़ब ! शानदार... वैसे गाकर ही पढ़ा.. माँ कहती है मेरी आवाज़ अच्छी है..इसलिए आसपास वालो को ज्यादा तकलीफ़ भी नहीं हुई :)
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