सफ़र जुदा होने पर, साथ छुट जाएँगे क्या ?
इस सियासी मामूरे१ में, इंतखाबी२ बाज़ार हैं ।
सालों सागर४ में रखी, मय और नशीली होगी।
तमाम उम्र जुस्तजू रखी, आप संभल पाएँगे क्या ?
( चाचा ग़ालिब से माफ़ी माँगते हुए )
---------
१- नगर
२- चुनावी
३- उपदेशक
४- शराब कि बोतल
रास्ते मिलने पर, दिल भी मिल जाएँगे क्या ?
मौसमों के शहर में, कुछ महीने दूरी सही ।
बर्फ़ पिघलने पे, फ़ासले भी गल जाएँगे क्या ?
मौसमों के शहर में, कुछ महीने दूरी सही ।
बर्फ़ पिघलने पे, फ़ासले भी गल जाएँगे क्या ?
इस सियासी मामूरे१ में, इंतखाबी२ बाज़ार हैं ।
वो खरीदते खरीदते, खुद बिक जाएँगे क्या ?
दीने नासेह३ ने यहाँ, अहले-खुदाई छाप दी ।
ज़रा उनसे पूछो, ख़त एक लिख पाएँगे क्या ?
ज़ख्म भरता ही नहीं, एक बेचारे सवाल से ।
दीने नासेह३ ने यहाँ, अहले-खुदाई छाप दी ।
ज़रा उनसे पूछो, ख़त एक लिख पाएँगे क्या ?
ज़ख्म भरता ही नहीं, एक बेचारे सवाल से ।
जो भर गए नासूर सब, तो वो सहलाएँगे क्या ?
सालों सागर४ में रखी, मय और नशीली होगी।
तमाम उम्र जुस्तजू रखी, आप संभल पाएँगे क्या ?
रात लम्बी ही सही, इस जागते से ख्वाब में ।
एक बार आँख खुल गई, फिर सो पाएँगे क्या ?
( चाचा ग़ालिब से माफ़ी माँगते हुए )
---------
१- नगर
२- चुनावी
३- उपदेशक
४- शराब कि बोतल
 
चाचा ग़ालिब माफ़ी नहीं .... शाबाशी देंगे :) इतना बेहतरीन लिखा है।
ReplyDelete