िदल की आवाज़ दबाने के लिए,
धड़कने काफ़ी है शोर मचाने के लिए ।१।
निगाहें रास्तों पे चल रही हैं मगर,
एक मन है बैठा भटकाने के लिए ।२।
ता-उम्र दमे-लहर1 पर हम तैरा किए,
एक आह निकली फिर डुबाने के लिए ।३।
सुना है हर महफ़िल का शायर है वो, 
एक शहर बसाया है इस विराने के लिए ।४।
पिछले सावन जल गई गज़लें कितनी,
कभी मिलो भी, फिर रूठ जाने के लिए ।५।
बहारों ने एक फूल और खिलाया तो क्या ?
कई नज़्में जलीं दश्ते2 मन खिलाने के लिए ।६। 
न ज़बाँ सीखी कभी, न अदीबी3 आई हमें
न ज़बाँ सीखी कभी, न अदीबी3 आई हमें
कहलाया शायर मगर ज़माने के लिए ।७। 
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1- साँसों की लहर
2- रेगिस्तान
3- स्कॉलरशिप
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1- साँसों की लहर
2- रेगिस्तान
3- स्कॉलरशिप
