डिअर,
कल फ़ोन रखते समय तुमने कहा था कि मुझसे मिलने के बाद, तुम अपने अंदर कुछ नया महसूस करने लगे हो । तुम्हारे लिए मैं एक नया जीवन बनकर आई हूँ । उस वक़्त ये सुनकर अच्छा लगा था । और शायद तुम भी मुझसे कुछ ऐसा ही सुनने की आशा कर रहे थे । पर जो मेरे मन में है, उस समय कहना ठीक नहीं लगा । इसलिए अब ख़त लिख रही हूँ ।मैं चाहती हूँ, तुम मेरे जीवन में सदा एक मौत बनकर रहना । पढ़ने में अजीब लगे, पर तुम्हें लेकर मेरी बस एक यही ख्वाईश है ।
जीवन कितना ही नया हो, एक दिन शरीर के ढीले पड़ जाने पर उसे छोड़ देना ही उसकी नियती है । मौत, पर हमेशा साथ रहती है । तब भी, जब जीवन रहता है । सदा मौजूद होकर भी, वो अपने होने का एहसास कभी नहीं थोपती । जैसे तुम कभी अपने मैं को मुझ पर हावी नहीं होने दोगे । कोई कितना ही मन भटकाए, मौत पर से विश्वास नहीं हिला सकता । जिस रिश्ते की बुनियाद ही ऐसे विश्वास पर टिकी हो, उसे फिर किसका डर ? मौत जीवन का सत्य है । उसका विपरीत नहीं । मैं भी तुम्हें अपना सत्य मानकर, तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ । वो सत्य जो किसी नज़रिए का मोहताज न हो । जीवन के समय से हार जाने पर, तुम मेरा मौत बनकर साथ देना । अगर ऐसा हुआ तो फिर मुझे इस जीवन में किसी का डर नहीं । मौत का भी नहीं ।
तुम्हारा,
नव जीवन  
 
what is this....... such a killing text...... loved it....... really too beautiful to resist.....too good......threee good......four good....... I mean loved it like my own texts....:)
ReplyDeleteउसे अपने जीवन में हमेशा साथ रखना.. उसे अपनी नज़्मों में दफ़न करके रखना.. इस नवजीवन को आजीवन रखना...!
ReplyDeleteकमाल लिखा है आपने तो, मैंने भी कुछ लाइनें जोड़ने की गुस्ताख़ी कर दी । :)