धड़कन के कहने पे
होठों का खुलना
गहरी किसी प्यास का
फिर गले से उतरना -
एक आते हुए पल ने
ये गौर से देखा था
और जाती हुई साँस पे
एक भार सा रखा था ।
उठाने में जिसे
पलकें कपकपाई थीं
एक ही करवट में जैसे
ज़िंदगियाँ समाई थी ।
कई जन्म लगे थे उसे
इस मुकाम पर आने में
कोशिश बहुत करी थी उसने ,
हर राह को भटकाने में ।
कई बार छिला था उसे
ठंडी नुकीली छाँव ने ।
खुलकर फिर बँध जाती थी
कई बार भवँर सी पाँव में ।
ठान के आया था इस बार
या उसको कोई भरम हुआ ।
रास्तों का ये कारवां
अब शायद यहीं खत्म हुआ ।
सफ़र की लम्बी गहरी,
गलियों में उसने जाना था ।
यहाँ जन्मों तक यूँ भटकना
कुछ लम्हों का हरजाना था ।
पहुँच कर आखिर,
पतली चिकनी
पगडण्डी के छोर पर ।
वो बैठा रहा अकेला
कुछ देर, ज़रा सोचकर ।
फिर बंद कर आँखें अपनी
बैठ अंधेरे की सवारी पे,
एक साँस भरी थी लम्बी
नए सफ़र की तैयारी में ।
पूरा जीवन जैसे,
एक लम्हे में भरना चाहा हो ।
एक अँधेरी सुरँग से उसे
जैसे कोई बुलाया हो ।
फिर हिम्मत कर उसने
एक बुज़दिल छलांग लगाई थी
उस तरफ को जहाँ पर
ख़ामोशी की गहरी खाई थी ।
न गिरने की आहट हुई
न मरने का निशां मिला
एक ख्याल ने आज
फिर खुदखुशी की ।
सुना है सीने में अभी
दफ़नाया है उसे ।
होठों का खुलना
गहरी किसी प्यास का
फिर गले से उतरना -
एक आते हुए पल ने
ये गौर से देखा था
और जाती हुई साँस पे
एक भार सा रखा था ।
उठाने में जिसे
पलकें कपकपाई थीं
एक ही करवट में जैसे
ज़िंदगियाँ समाई थी ।
कई जन्म लगे थे उसे
इस मुकाम पर आने में
कोशिश बहुत करी थी उसने ,
हर राह को भटकाने में ।
कई बार छिला था उसे
ठंडी नुकीली छाँव ने ।
खुलकर फिर बँध जाती थी
कई बार भवँर सी पाँव में ।
ठान के आया था इस बार
या उसको कोई भरम हुआ ।
रास्तों का ये कारवां
अब शायद यहीं खत्म हुआ ।
सफ़र की लम्बी गहरी,
गलियों में उसने जाना था ।
यहाँ जन्मों तक यूँ भटकना
कुछ लम्हों का हरजाना था ।
पहुँच कर आखिर,
पतली चिकनी
पगडण्डी के छोर पर ।
वो बैठा रहा अकेला
कुछ देर, ज़रा सोचकर ।
फिर बंद कर आँखें अपनी
बैठ अंधेरे की सवारी पे,
एक साँस भरी थी लम्बी
नए सफ़र की तैयारी में ।
पूरा जीवन जैसे,
एक लम्हे में भरना चाहा हो ।
एक अँधेरी सुरँग से उसे
जैसे कोई बुलाया हो ।
फिर हिम्मत कर उसने
एक बुज़दिल छलांग लगाई थी
उस तरफ को जहाँ पर
ख़ामोशी की गहरी खाई थी ।
न गिरने की आहट हुई
न मरने का निशां मिला
एक ख्याल ने आज
फिर खुदखुशी की ।
सुना है सीने में अभी
दफ़नाया है उसे ।
 
बेहतरीन है । एकदम गुलज़ार साब का टच मिल रहा है। :)
ReplyDeletevery nice poem in nicely woven words...... not writing much as unsure of many things.....but of course no doubt about poem itself, it is really nice to read.....congratulations
ReplyDeleteन गिरने की आहट हुई
ReplyDeleteन मरने का निशां मिला
एक ख्याल ने आज
फिर खुदखुशी की ।
सुना है सीने में अभी
दफ़नाया है उसे ।
बहुत खूब
फिर बंद कर आँखें अपनी
ReplyDeleteबैठ अंधेरे की सवारी पे,
एक साँस भरी थी लम्बी
नए सफ़र की तैयारी में ।
पूरा जीवन जैसे,
एक लम्हे में भरना चाहा हो
.
बहुत खूब