Tuesday, March 26, 2013

होली स्पेशल


होली खेलने ये कैसी सूरत लेकर आया है?
होली से पहले कितने रंग चढ़ा कर आया है।१।

वो गई थी लगता है रंगरेज़ से मिलने, 

इस बार गुलाल और लाल होकर आया है।२।

संभलकर लगवाना रंग इस बार,

सुना है कुछ दिन दिल्ली रह कर आया है।३।

घर से आई चिट्ठी का जो पलटा सफ़ा मैंने,

फिर से गुजिया का स्वाद ज़बां पर आया है।४।

बहुत प्यार करते हैं ये रिश्तेदार मुझसे,

फिर वही एसएमएस इस होली पर आया है।५।

खफ़ा न होना गर रंग न लगा पाऊं,

चाँद को भी भला कोई रंग लगा कर आया है?।६।

टूटी पिचकारी से उसने खेली है होली,

अपने चेहरे पर भूख़ का रंग लगा कर आया है।७।

Monday, March 25, 2013

फिर एक बार ..

फिर मेरा शेर लिख के अपने पे यूँ गुमां करना,
फिर तेरा कुछ सोच के ग़ालिब का यूँ बयाँ करना ।१।

फिर एक और हफ़्ते का शान से यूँ बढ़ जाना,
फिर एक और हफ़्ते का अपने दिल को समझाना ।२।

फिर बारिश से मिल के बर्फ़ का यूँ पिघल जाना,
फिर बेवजह उस आख़िर मुलाकात का याद आना ।३।

फिर इस बार घर जाकर पुराने कपड़े दे आना,
फिर इस बार घर जाकर पुराना कर्ज़ चुका आना ।४।

फिर तेरा उस पहर तालाब से निकल आना,
फिर तेरे उस शहर का बेसाख्ता* जल जाना ।५।

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(बेसाख्ता = spontaneous)
जैसा दिखा रहा है, ये कोई ग़ज़ल नहीं है। बस कुछ अकेले से पड़े शेरों का क़स्बा है।


Thursday, March 21, 2013

लघु कथा - १


अंकुर ने कार को जोर से ब्रेक लगाया और गाड़ी सीधे बिल्डिंग के एंट्रेंस पर जा खड़ी करी। "आज ही ऑफिस में इंस्पेक्शन होना था" किसी कोफ़्त और बेचैनी में बड़बड़ता वो, दो-तीन सीढियाँ लाघंते हुए, ऊपर रिसेप्शन की तरफ तेज़ी से बढ़ा। पिछले दो बार सुधा का मिसकैरेज (गर्भपात) हो चुका था, और तीसरे बार के लिए डॉ ने कई बार आगाह भी किया था। रिसेप्शन से मेन रूम के बीच, दीवार पर लगे बच्चों के पोस्टरों ने उसकी दिल की धड़कने और बढ़ा दी थी। एक लम्बी सांस लेते हुए उसने जैसे ही रूम का दरवाज़ा खोला, सुधा ने तुरंत उसकी तरफ पलट कर देखा। उसे देखते ही सुधा की आखें छलक पड़ी। भीतर आते ही अंकुर का ध्यान सीधे, सुधा की गोद से झांकते दो नन्हे पैरों पर गया। उसका चेहरा, शांति और गर्व के भावों से मिलकर चमक उठा। तीनों आपस में लिपटकर एक हो गए। सामने बैठे श्रीवास्तव जी ने खंखारते हुए अपनी ओर ध्यान खींचा। दोनों को बधाई देते हुए,उन्होंने एडॉप्शन फॉर्म आगे कर दिए। फॉर्म में बच्चे के नाम पर आते ही अंकुर की कलम रुक गई। कुछ सोचा और उसके मुह से निकला - सुधा का सुधांशु ! 

Saturday, March 9, 2013

मौसम

मौसम -
वसुंधरा की अलमारी में,
हैंगर से टांगा परिधान है मौसम।
अख़बार में,
भविष्यफल के कॉलम के पास छपा,
विज्ञान है मौसम। 
जब कहने को हो कुछ भी नहीं , 
बात करने का बहाना है मौसम।।

ग्रीष्म ऋतु -
स्कूल के तमाशे से,
एक ज़रूरी ब्रेक है ग्रीष्म।
चीफ़ गेस्ट सी,    
निर्धारित समय से सदा लेट आती,
रेल का इंतज़ार है ग्रीष्म।
नानी की झुर्रियों से लटक कर,
आँगन के पेड़ से आम तोड़ लाना है ग्रीष्म।
पंखे के हाफ़्ने, कूलर की खड़-खड़,
और ए.सी. की ख़ामोशी के बीच -
बिजली के बिल का बढ़ जाना है ग्रीष्म।
सूखे से, खेत में पड़ी दरारों को -
हाथ की लकीरों से मिटाने की ज़िद है ग्रीष्म।
दिहाड़ी के पसीने से,
सूरज की आग बुझाना है ग्रीष्म।
रात को ठंडी पुरवाई से,
पेट की आग बुझाना है ग्रीष्म।।  

वर्षा ऋतु -
कजरी की धुन और बूंदों की झंकार से, 
मन का हरा हो जाना है वर्षा।
गरम चाय से उठती भाप का 
बादल बनकर बरस जाना है वर्षा।
जवान नदी का, डैम की सत्ता को
चुनौती दे बहना है वर्षा।
छत से टपकती आफत, और 
गटर के पानी का किवाड़ से,
बिन बुलाए आ जाना है वर्षा।
बाढ़ से उपजे रिलीफ फण्ड का, 
गाँव तक पहुँचने से पहले सूख जाना है वर्षा।।

शरद ऋतु -
मौसमों में,
गुमशुदा की तलाश है शरद।
वीरान होती फिज़ा में ,
बुढ़ापे के आने का संकेत है शरद।
किताब में सहेज कर रखे,
पुराने पत्ते का यूँही गिर जाना है शरद।
ऋतुओं की राजसत्ता में, 
एक त्रिशंकु संसद है शरद।  

हेमंत ऋतु -
ऊन के धागों में उलझते-उलझते,
आपस में फिर बुन जाना है ठण्ड।
अलाव की आग को देर तक ,
गप्पों से जलाये रखना है ठण्ड।
आधी टांग की निक्कर पहने
छोटे बच्चों का, 
शिक्षा प्रणाली में आहूति बनने की सजा है ठण्ड। 
स्वेटर पहने पालतू कुत्ते का, सोसाइटी में  
आपको सैर करवाना है ठण्ड। 
रात, बंद झुग्गी में-
स्टोव के धुएँ से मरकर, 
सरकारी आँकड़ा बन जाना है ठण्ड।

शिशिर ऋतु -
फसल की कटाई पर,
पतंग बन उड़ जाना है शिशिर।
कुम्भ में डुबकी लगाकर,
गुनगुनी छत पर फ़ैल जाना है शिशिर।
पलाश के फुलों से रंग चुराकर ,
भाभी के गाल पर मल जाना है शिशिर।
फटी चादर और कंबल को
लोहे के बक्से में, 
ताला लगाकर संभाले रखना है शिशिर।

वसंत ऋतु -
पूजा में बैठे किसी पंडित जैसे  
धरती का पियरी ओढ़ लेना है वसंत।  
हर कहीं एक राजा ढूँढ लेने की
सनक का नतीजा है वसंत।
नयी किताबों की खुशबू से, 
बस्तों का महक जाना है वसंत।
मौसम के ऐसे काल चक्र से,
एक साल और 
जिंदा बच कर निकल जाना है, वसंत।

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ऋतुओ के नाम हिंदी एवं अंग्रेजी में
ऋतुहिन्दू मासग्रेगरियन मासPhonetic
ग्रीष्म (Summer)ज्येष्ठ से आषाढमई से जूनGreesm
वर्षा (Rainy)श्रावन से भाद्रपदजुलाई से सितम्बरVarsha
शरद् (Autumn)आश्विन से कार्तिकअक्टूबर से नवम्बरSharad
हेमन्त ( pre-winter)मार्गशीर्ष से पौषदिसम्बर से 15 जनवरीHemant
शिशिर (Winter)माघ से फाल्गुन16 जनवरी से फरवरीShishir
वसन्त (Spring)चैत्र से वैशाखमार्च से अप्रैलVasant

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