अंकुर ने कार को जोर से ब्रेक लगाया और गाड़ी सीधे बिल्डिंग के एंट्रेंस पर जा खड़ी करी। "आज ही ऑफिस में इंस्पेक्शन होना था" किसी कोफ़्त और बेचैनी में बड़बड़ता वो, दो-तीन सीढियाँ लाघंते हुए, ऊपर रिसेप्शन की तरफ तेज़ी से बढ़ा। पिछले दो बार सुधा का मिसकैरेज (गर्भपात) हो चुका था, और तीसरे बार के लिए डॉ ने कई बार आगाह भी किया था। रिसेप्शन से मेन रूम के बीच, दीवार पर लगे बच्चों के पोस्टरों ने उसकी दिल की धड़कने और बढ़ा दी थी। एक लम्बी सांस लेते हुए उसने जैसे ही रूम का दरवाज़ा खोला, सुधा ने तुरंत उसकी तरफ पलट कर देखा। उसे देखते ही सुधा की आखें छलक पड़ी। भीतर आते ही अंकुर का ध्यान सीधे, सुधा की गोद से झांकते दो नन्हे पैरों पर गया। उसका चेहरा, शांति और गर्व के भावों से मिलकर चमक उठा। तीनों आपस में लिपटकर एक हो गए। सामने बैठे श्रीवास्तव जी ने खंखारते हुए अपनी ओर ध्यान खींचा। दोनों को बधाई देते हुए,उन्होंने एडॉप्शन फॉर्म आगे कर दिए। फॉर्म में बच्चे के नाम पर आते ही अंकुर की कलम रुक गई। कुछ सोचा और उसके मुह से निकला - सुधा का सुधांशु !
Thursday, March 21, 2013
लघु कथा - १
अंकुर ने कार को जोर से ब्रेक लगाया और गाड़ी सीधे बिल्डिंग के एंट्रेंस पर जा खड़ी करी। "आज ही ऑफिस में इंस्पेक्शन होना था" किसी कोफ़्त और बेचैनी में बड़बड़ता वो, दो-तीन सीढियाँ लाघंते हुए, ऊपर रिसेप्शन की तरफ तेज़ी से बढ़ा। पिछले दो बार सुधा का मिसकैरेज (गर्भपात) हो चुका था, और तीसरे बार के लिए डॉ ने कई बार आगाह भी किया था। रिसेप्शन से मेन रूम के बीच, दीवार पर लगे बच्चों के पोस्टरों ने उसकी दिल की धड़कने और बढ़ा दी थी। एक लम्बी सांस लेते हुए उसने जैसे ही रूम का दरवाज़ा खोला, सुधा ने तुरंत उसकी तरफ पलट कर देखा। उसे देखते ही सुधा की आखें छलक पड़ी। भीतर आते ही अंकुर का ध्यान सीधे, सुधा की गोद से झांकते दो नन्हे पैरों पर गया। उसका चेहरा, शांति और गर्व के भावों से मिलकर चमक उठा। तीनों आपस में लिपटकर एक हो गए। सामने बैठे श्रीवास्तव जी ने खंखारते हुए अपनी ओर ध्यान खींचा। दोनों को बधाई देते हुए,उन्होंने एडॉप्शन फॉर्म आगे कर दिए। फॉर्म में बच्चे के नाम पर आते ही अंकुर की कलम रुक गई। कुछ सोचा और उसके मुह से निकला - सुधा का सुधांशु !
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