Conquest beings...
Almost there...
जब सावन चलकर आया था ।
काले डामर का उतरा रंग,
तब आसमान तक छाया था ।
एक पुल बिछा के रखा था
जिस ओर से आने थे बदरा ।
मैं आस लगाए बैठा था,
जिस ओर से आने थे सजना ।
आखिर आए सब सांवरे, 
पर ना आया सवारियां । 
भीगती रही रातभर, 
मोरी बिरहन कजरिया ।।
 
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