Monday, October 7, 2013

रात की बात

बात बस इतनी सी है,
कि रात बस इतनी सी है ।
रात जो इतनी सी है,
वो आँख पर अटकी सी है ।

ख्वाब का टुकड़ा है साँसों में अटका ।
चाँद का मुखड़ा भी आस्मां में लटका ।
दे आता है कौन इन रातों को आवाजें ?
दिल की ये बातें कोई ना बता दे !  
शहर में ये ख़ामोशी बस्ती है कैसे ?
होंठों पर उनके ये सजती है कैसे ?
तुम्हीं अब बताओ की जाना कहाँ है ?
जा-जा के ये रातें फिर रूकती है कैसे ?
खाव्बों से पूछो ये क्यों खो गए हैं ?
बादल पर सर रखकर क्यों सो गए हैं ?
ये यादें चौराहों पर लटकी मिलेंगी ।
सुबह होने पर भी भटकती रहेंगी । 
अंगड़ाया आस्मां तो वो तारा भी टूटा,
जिसे समझा था घर वो सहारा भी छूटा।
घुम गए हैं जो नाम, कोई तो लौटा दो, 
रात की बाहों पर उनको गुदवादो । 
कभी तो कहोगे कि अब लौट आओ,
सफ़र के इन छालों को अब तो मिटाओ ।
कही न कभी हों वो बातें सुनाओ।
आँख जो झपकी तो रात फिसल जाएगी ।
रात जो फिसली तो बात गुज़र जाएगी ।
क्योंकि -
बात बस इतनी सी है,
कि रात बस इतनी सी है ।
रात जो इतनी सी है,
वो आँख पर अटकी सी है ।। 

7 comments:

  1. "आँख जो झपकी तो रात फिसल जाएगी ।
    रात जो फिसली तो बात गुज़र जाएगी ।"
    शानदार, लेकिन बड़े दिनों बाद ...रेगुलर लिखा कीजिये :)

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  2. रात से अपनी बात, अभी बांकी है
    तुम हो हम हैं ,साथ अभी बांकी है
    बारिश तो आयी भी, बरस भी गयी
    छत पर तारों की बरसात अभी बांकी है

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  3. अरसे बाद जैसे आप यादों की तरह लौटे। आपकी कविताएँ सोच का वास्तविक प्रदर्शन हैं शिकायत आपकी कंजूसी से है। ज्यादा लिखेंगे तो आपको ज्यादा पा सकेंगे। व्यस्तताओं से समय जल्दी मिलता है। अब बात कविता की जो -

    बात बस इतनी सी है,
    कि रात बस इतनी सी है ।
    रात जो इतनी सी है,
    वो आँख पर अटकी सी है ।।

    और आप .................?

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    1. Thank you so much for your unrelenting support ! Will try to be more regular :)

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  4. आँख जो झपकी तो रात फिसल जाएगी ।
    रात जो फिसली तो बात गुज़र जाएगी ।
    ===
    Fantastic lines by wonderful poet. keep it up my friend.

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