कुछ तो बात रही होगी 
जो खुद से न कही होगी ।
आती जाती हर साँस की
हर करवट को चुभी होगी ।
इस तरह वो नीचे
फिर ना जाने मन में क्या आया
तभी एक तेज़ चलती कार से
टकरा गई बेचारी रफ़्तार से
फिर टूट के गिरी उसकी
कांच की खिड़की पर ।
वो बारिश की अटकी बूँद थी
फिर कार चलाने वाले ने
जो खुद से न कही होगी ।
आती जाती हर साँस की
हर करवट को चुभी होगी ।
शाम थी,
वक़्त था,
शायद साढ़े सात का।
वक़्त था,
शायद साढ़े सात का।
वो थी,
मैं था,
मौसम था बरसात का।
मैं था,
मौसम था बरसात का।
कल देखा था उसे आँगन से,
मंडराती मन की उलझन में । 
बिल्डिंग की ऊपरी माले से,
थी घंटों लटकी हुई सी।
बैठी रही वो देर तलक ,
थी कुछ उखड़ी हुई सी ।
बिल्डिंग की ऊपरी माले से,
थी घंटों लटकी हुई सी।
बैठी रही वो देर तलक ,
थी कुछ उखड़ी हुई सी ।
इस तरह वो नीचे
झाँकती थी बार बार 
किसी वक़्त की आमद का
था जैसे उसको इंतज़ार ।
कुछ सोच कर टेरिस परथा जैसे उसको इंतज़ार ।
फिर टहल आती थी ।
इंतज़ार में थी किसे के
या यूँ मन बहलाती थी ?
कुछ तो था, जो कहना था
जो उसने भी न समझा था ।
इंतज़ार में थी किसे के
या यूँ मन बहलाती थी ?
कुछ तो था, जो कहना था
जो उसने भी न समझा था ।
फिर ना जाने मन में क्या आया
या देखा उसने कोई साया
या किसी नाऊँमीदी के झोंकें ने
झाँसे में अपने फुसलाया ।
ऊँगली पकड़ किसी सपने की
नीचे कूदी -
जैसे बाहों में किसी अपने की।
चुप चाप हवा से कटते हुए ,
मंज़िल दर मंज़िल मरते हुए
घूमती गिरती जाती थी
नीचे सहमी सड़क पे ।
सांस को हलक में रोके हुए
मैं दुआ में था उस झोंके के
जो ले जाए इसे फिर फलक पे ।
या किसी नाऊँमीदी के झोंकें ने
झाँसे में अपने फुसलाया ।
ऊँगली पकड़ किसी सपने की
नीचे कूदी -
जैसे बाहों में किसी अपने की।
चुप चाप हवा से कटते हुए ,
मंज़िल दर मंज़िल मरते हुए
घूमती गिरती जाती थी
नीचे सहमी सड़क पे ।
सांस को हलक में रोके हुए
मैं दुआ में था उस झोंके के
जो ले जाए इसे फिर फलक पे ।
तभी एक तेज़ चलती कार से
टकरा गई बेचारी रफ़्तार से
फिर टूट के गिरी उसकी
कांच की खिड़की पर ।
वो बारिश की अटकी बूँद थी
जली सावन की सिगड़ी पर । 
फिर कार चलाने वाले ने
बेहरहमी से उसे पोंछ दिया 
इस शहर ने फिर एक बार
एक सुसाईड नोट खो दिया । 
एक मौत से अनजान सी ,
एक मौत से अनजान सी ,
वो शाम थी शमशान सी । 
कुछ तो बात रही होगी
जो उस नोट ने कही होगी…
कुछ तो बात रही होगी
जो उस नोट ने कही होगी…
 
मंजिल दर मंजिल मरते हुए
ReplyDeleteफील करा दिया आपने...स्तब्ध हूँ ...