Charkha
Sunday, May 25, 2014
जश्ने बहारा
श्रृंगार
फ़ूल ही फ़ूल
रंग ही रंग
पिली धूप पहन के तुम देखो बाग़ में मत जाना
गुलदस्ता
धरती माता तोहे पियरी चढ़ैबे
हवा में उड़ती बिखरी ज़ुल्फ़ें
नई पत्तियाँ
नया आसमान
सफ़ेद तिल में हरी मूंग मिला दी किसी ने
1 comment:
Aanchal
May 25, 2014 at 7:37 PM
आपका शहर बहुत ख़ूबसूरत है ।
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आपका शहर बहुत ख़ूबसूरत है ।
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