Sunday, December 21, 2014

गति

मैंने अक्सर देखा है 
घड़ी की सुईयाँ कैसे
सदा चलती रहती हैं,
पर वक़्त फिर भी वहीं 
रुका थमा सा रहता है ।

ठीक वैसे ही
जैसे, इतनी दूर
साथ चलकर भी,
हम अब तलक वहीं है ।।


1 comment:

  1. This I read earlier also but posting comment tonight ......nice poem :)

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