मैंने अक्सर देखा है 
घड़ी की सुईयाँ कैसे
सदा चलती रहती हैं,
पर वक़्त फिर भी वहीं
रुका थमा सा रहता है ।
ठीक वैसे ही
जैसे, इतनी दूर
साथ चलकर भी,
हम अब तलक वहीं है ।।
सदा चलती रहती हैं,
पर वक़्त फिर भी वहीं
रुका थमा सा रहता है ।
ठीक वैसे ही
जैसे, इतनी दूर
साथ चलकर भी,
हम अब तलक वहीं है ।।
 
This I read earlier also but posting comment tonight ......nice poem :)
ReplyDelete