Thursday, October 2, 2014

सितम्बर स्पेशल - १



मौसम की ज़बान पे
भाषा का बदलना -
बदलती हर दिशा से
हवाओं का झगड़ना -
आँगन में पत्तों का
अनशन पर बैठना  -
सितम्बर है ।

हरे हरे पेड़ों का
सावन की मेंहदी उतरने पर
शरमा के सूर्ख हो जाना -
मौसमों की याद को 
पंखों में भर कर, चिड़ियों का 
आस्मान खाली कर जाना -
ख़ाली उजड़े घोंसलों के
खंडहरों के पीछे,
गिलहरियों का हर शाम मिलना
और आते-जाते, शाखों पर
दबे हाथ कुछ कुरेदना -
सितम्बर है ।

सुन्दर नंगी डालियों का
आस्मां को कसकर पकड़
गहरा नीला कर देना -
आधे लिखे खतों को
बार बार पूरा पढ़कर
खुश्क हवा में उड़ाना 
और उसे गीला करते रहना -
सितम्बर है ।

ठंडी बरसात से,
सावन के भुझों को
फिर से जलाना -
मौसम के बदलने पर
पुराने बुखार का 
फिर गले से लग जाना -
भावना के झोंकों में
कविता से शब्दों का
एक-एक कर गिर जाना - 
सितम्बर है ।


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